बिलासपुर, छत्तीसगढ़:
डीपी विप्र महाविद्यालय में परीक्षा फॉर्म भरने को लेकर छात्रों की परेशानियां बढ़ गई हैं। इसी मुद्दे पर आज ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (AIDSO) की कॉलेज कमिटी ने परीक्षा नियंत्रक तरुण दिवान के माध्यम से कुलपति महोदय को ज्ञापन सौंपा।
कॉलेज सचिव सुरेंद्र साहू ने बताया कि वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के पोर्टल पर यूजी प्रथम सेमेस्टर और पीजी प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा फॉर्म भरे जा रहे हैं। छात्र-छात्राएं यूनिवर्सिटी पोर्टल से फॉर्म भरकर हार्ड कॉपी कॉलेज में जमा करने जा रहे हैं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन फॉर्म लेने से इंकार कर रहा है। कॉलेज का कहना है कि अब डीपी विप्र कॉलेज ऑटोनोमस हो गया है, और केवल कॉलेज की वेबसाइट पर भरे गए फॉर्म ही स्वीकार किए जाएंगे।
कॉलेज प्रशासन छात्रों से कह रहा है कि बिलासपुर यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर भरे गए फॉर्म की फीस वापस पाने के लिए अलग से परीक्षा विभाग में आवेदन करें। लेकिन समस्या यह है कि डीपी विप्र कॉलेज अभी तक ऑटोनोमस नहीं बना है। ऐसे में छात्रों के सामने यह दुविधा है कि वे किस पोर्टल पर फॉर्म भरें और आखिरकार उनकी परीक्षा किस माध्यम से होगी।
छात्रों के लिए दोहरी परेशानी
AIDSO का कहना है कि यह स्थिति छात्रों के साथ अन्याय है। छात्रों को बार-बार फॉर्म भरने और फीस जमा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनका आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है। इसके अलावा, कॉलेज प्रशासन के इस रवैये से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
AIDSO ने उठाई ये मांगें:
छात्र संगठन ने इस मामले में कुलपति महोदय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखी गई हैं:
1. एक पोर्टल की अनिवार्यता: सभी छात्रों के लिए केवल एक पोर्टल सुनिश्चित किया जाए।
2. डीपी विप्र कॉलेज पर कार्रवाई: कॉलेज द्वारा ऑटोनोमस बनने का दावा करते हुए छात्रों से अलग फॉर्म भरवाने के मामले में सख्त कार्रवाई की जाए।
3. फीस की वापसी: जिन छात्रों ने विश्वविद्यालय और कॉलेज दोनों के फॉर्म भरे हैं, उनकी अतिरिक्त फीस तत्काल वापस की जाए।
4. पहले से भरे फॉर्म स्वीकार हों: यूनिवर्सिटी पोर्टल पर भरे गए फॉर्म को तुरंत मान्यता दी जाए।
छात्रों में गुस्सा, समाधान की मांग
AIDSO ने स्पष्ट किया है कि अगर छात्रों की समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन का यह कदम न केवल अनुचित है, बल्कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।
क्या कहता है प्रशासन?
इस पूरे मामले में डीपी विप्र कॉलेज प्रबंधन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान अभी तक सामने नहीं आया है।
अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं।