गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व घोषित, भारत के वन्यजीव संरक्षण में बड़ा कदम

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छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य को मिलाकर गठित गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व हाल ही में भारत का 56वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। यह क्षेत्र अब छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है, जिसका क्षेत्रफल 2,829.38 वर्ग किलोमीटर है।

यह कदम न केवल बाघ संरक्षण बल्कि जैव विविधता को संरक्षित करने और स्थानीय पर्यटन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

जैव विविधता और पर्यटन के लिए वरदान

यह टाइगर रिजर्व बाघों के अलावा हाथी, तेंदुआ, गौर और चीतल जैसे कई अन्य वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है। इसके निकटता में मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व है, जिससे यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण बाघ गलियारा (Tiger Corridor) बन गया है। साथ ही, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की नई पहचान मिलेगी।

पर्यावरणविद् अजय दुबे का योगदान

भोपाल के पर्यावरणविद् अजय दुबे ने 2019 से इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित करवाने के लिए कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर लगातार प्रयास किए। उनकी मेहनत और समर्पण के परिणामस्वरूप आज यह क्षेत्र संरक्षित हो सका है। श्री दुबे का कहना है, “यह न केवल बाघ संरक्षण बल्कि पूरे क्षेत्र की जैव विविधता को बचाने का बड़ा कदम है।”

स्थानीय समुदाय और रोजगार के अवसर

टाइगर रिजर्व बनने से क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। पर्यटन के बढ़ावे से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और क्षेत्र के आर्थिक विकास को बल मिलेगा।

राज्य के प्रमुख टाइगर रिजर्व

1. गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व: 2,829.38 वर्ग किमी


2. इंद्रावती टाइगर रिजर्व: 2,799.08 वर्ग किमी


3. उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व: 1,842.54 वर्ग किमी


4. अचानकमार टाइगर रिजर्व: 557.55 वर्ग किमी



भविष्य की दिशा

गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व का प्रबंधन और संरक्षण योजनाओं में सुधार की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया गया है। केंद्र सरकार ने प्रशिक्षित स्टाफ, शिकायत निवारण प्रणाली, और एनजीओ के सहयोग को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया है।

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल ही में घोषणा की कि छत्तीसगढ़ स्थित गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को औपचारिक रूप से देश का 56वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। यह टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सलाह पर अधिसूचित किया गया।

प्रमुख विशेषताएँ

1. क्षेत्रफल: यह रिजर्व 2,829 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें

कोर क्षेत्र (Critical Tiger Habitat): 2,049.2 वर्ग किलोमीटर (गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल)।

बफर ज़ोन: 780.15 वर्ग किलोमीटर।



2. रैंकिंग: यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है, जो आंध्र प्रदेश के नागरजुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद आता है।


3. महत्व:

यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए समृद्ध है और बाघों, हाथियों, गौर और चीतल सहित कई दुर्लभ प्रजातियों का आवास है।

छत्तीसगढ़ के अन्य प्रमुख टाइगर रिजर्व जैसे इंद्रावती, उदंती-सीतानदी और अचानकमार की तुलना में यह राज्य का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है।




पर्यावरण मंत्री का बयान

भूपेंद्र यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस रिजर्व को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह निर्णय भारत की बाघ संरक्षण और जैव विविधता की सुरक्षा प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के गठन से बाघों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, यह स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि करेगा।






Disclaimer: यह खबर छत्तीसगढ़ और भारत के वन्यजीव संरक्षण में सकारात्मक योगदान को रेखांकित करने के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। सरकार और संबंधित प्राधिकरण क्षेत्र के संरक्षण में अधिकतम प्रयास कर रहे हैं।

Source : https://www.forest.cg.gov.in/WildLife/

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