बिलासपुर के त्रिवेणी भवन में संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग और दहेज मुक्त विवाह समारोह ने समाज को नई प्रेरणा दी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दहेज प्रथा, नशाखोरी और व्यभिचार जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना था।
संत रामपाल जी का संदेश
सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने अपने अनुयायियों से आह्वान किया कि वे समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा और नशे की आदतें परिवारों को बर्बाद कर रही हैं। इनसे मुक्त होकर समाज को सशक्त और खुशहाल बनाना आवश्यक है।
दहेज मुक्त विवाह
कार्यक्रम में चार जोड़ों का दहेज मुक्त और सादगीपूर्ण विवाह संपन्न हुआ। इन विवाहों में न तो किसी प्रकार की फिजूलखर्ची हुई और न ही किसी प्रकार का आडंबर। विवाह केवल परिवारों और समाज को प्रेम और समर्पण के आधार पर जोड़ने का एक आदर्श उदाहरण बने।
विवाह में शामिल जोड़े
1. भगतमति योकेश दासी पटेल (28 वर्ष, बिलासपुर) संग भगत महेंद्र दास पटेल (28 वर्ष, कबीरधाम)
2. भगतमति हारबाई दासी (24 वर्ष, बिलासपुर) संग भगत लालाराम दास (35 वर्ष, बिलासपुर)
3. भगतमति परमेश्वरी दासी पटेल (20 वर्ष, बिलासपुर) संग भगत नेमीचंद दास पटेल (25 वर्ष, बलौदाबाजार)
4. भगतमति सरस्वती दासी (19 वर्ष, बिलासपुर) संग भगत उत्तम दास (21 वर्ष, खैरागढ़)
सादगी और पवित्रता का संदेश
सभी विवाहों में पारंपरिक रीतियों को निभाते हुए दहेज और दिखावे से पूरी तरह परहेज किया गया। समारोह ने यह संदेश दिया कि विवाह पवित्र बंधन है, जिसे केवल सादगी और पवित्रता के साथ संपन्न करना चाहिए।
संत रामपाल जी का आह्वान
संत रामपाल जी महाराज ने इस अवसर पर सभी से आग्रह किया कि वे दहेज मुक्त और नशा मुक्त समाज की दिशा में कार्य करें। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
यह आयोजन न केवल दहेज मुक्त विवाह की प्रेरणा बना बल्कि समाज को आध्यात्मिक और सामाजिक सुधार की दिशा में नई ऊर्जा प्रदान कर गया।