“कांग्रेस भवन बैठक में प्रभारी और पूर्व मेयर के बीच विवाद, खेद प्रकट कर सुलझा मामला”

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बिलासपुर कांग्रेस भवन में एक बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं के बीच संगठन और आगामी नगरीय निकाय चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा हो रही थी। बैठक में पार्टी प्रभारी सुबोध हरितवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एकजुट होकर चुनाव की रणनीति पर काम करने की अपील की। उनकी बातों के दौरान पूर्व मेयर राजेश पांडे ने असहमति जताई और तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सुबोध हरितवाल की बातों में उनके जैसे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के योगदान को नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे दोनों के बीच बहस शुरू हो गई, और बैठक का माहौल तनावपूर्ण हो गया।

मामले को देखते हुए शहर अध्यक्ष विजय पांडे ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए तत्काल एक्शन लिया। उन्होंने राजेश पांडे को नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया। इस विवाद को पार्टी के भीतर और बाहर गंभीरता से लिया जाने लगा।

इसके बाद, राजेश पांडे ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज से मुलाकात की और अपनी बात रखी। मुलाकात के बाद उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से समझा गया, जिससे विवाद पैदा हुआ। उन्होंने इसे एक गलतफहमी करार देते हुए कहा कि “राम को रावण समझ लिया गया।” उन्होंने पार्टी हित में खेद जताया और स्पष्ट किया कि उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वह पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं और पिछले पांच दशकों से पार्टी के लिए निस्वार्थ रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह आगे भी जनहित और पार्टी हित के लिए काम करते रहेंगे।

राजेश पांडे ने यह भी स्पष्ट किया कि वह यह कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि कोई अन्य पार्टी इस विवाद का राजनीतिक लाभ न उठा सके। उन्होंने पार्टी में अनुशासन और एकता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और मामले को यहीं समाप्त करने की बात कही।

नैतिक शिक्षा:
गलतफहमियां चाहे किसी भी स्तर पर क्यों न हों, उन्हें संवाद और विनम्रता के साथ सुलझाना ही सही तरीका है, क्योंकि एकता और अनुशासन किसी भी संगठन की शक्ति का मूल आधार होते हैं।

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